Description
Aakar Books Mahamari Ki Sarhadein COVID-19 aur Pravasi Shramik by Anamika Priyadarshini Gopal Krish
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए भारत सरकार ने 24 मार्च 2020 को सम्पूर्ण लॉकडाउनका फ़ैसला लिया जिसका नतीजा यह हुआ कि देश के विभिन्न हिस्सों में रह रहे प्रवासी श्रमिक जल्द-से-जल्द अपने घर पहुँचने के लिए बेताब हो उठे। जितना भी सामान वे ले सकते थे उसे अपने सिर परलादकर, अपने बच्चों और घर के बूढ़े सदस्यों को साथ लेकर भूखे-प्यासे तपती धूप की परवाह किए बगैरअपने घर के लिए पैदल ही रवाना हो गए क्योंकि परिवहन के सारे साधन बंद कर दिए गए और अलग-अलग राज्यों ने भी अपनी सीमाएँ सील कर दी थीं। इन सबके बीच लोगों के ज़ेहन में जो सवाल बार-बारउठ रहा था, वह यह था कि वहाँ उनके काम के शहर या जिले में प्रवासी मजदूरों के लिए पर्याप्त भोजन,पानी और आश्रय की व्यवस्था की जाती तो क्या इस मानवजनित त्रासदी से बचा जा सकता था? प्रवासीश्रमिकों के नियोक्ताओं ने अपनी दुकानें बंद कर दीं। किराया नहीं चुका पाने के अंदेशे से श्रमिकों कोमकान-मालिकों ने मकान से निकाल दिया। उन्हें डर था कि उनके पास जो भी बचत थी वह शीघ्र हीसमाप्त हो गई। भूख से मर जाने के डर ने इन श्रमिकों को सैकड़ों मील की ऐसी पैदल यात्रा पर चलनेको बाध्य किया जिसकी उन्होंने सपने में भी कल्पना भी नहीं की थी। उन्हें पैदल चलने को इसलिएबाध्य होना पड़ा क्योंकि परिवहन के सारे साधनों को बंद कर दिया गया था। उनके एक तरफ़ कुआँ था,तो दूसरी तरफ़ खाई–एक ओर भूख से मर जाने की नौबत तो दूसरी ओर महामारी का डर। भारतीय उप-महाद्वीप में आज़ादी के बाद हुए बँटवारे के दौरान जिन लोगों का विस्थापन इसके मैदानी इलाक़े में हुआसंभवत: उसके बाद से ऐसा पलायन कभी नहीं देखा गया था, जब लोग बिना खाए, बिना सोए औरठहरने की कोई जगह के बिना निरंतर पैदल चलते रहे।