Gramin Haryana Me Ghunghat Pratha Badalte Swaroop - 1880 Se Maujuda Daur Tak at Meripustak

Gramin Haryana Me Ghunghat Pratha Badalte Swaroop - 1880 Se Maujuda Daur Tak

Books from same Author: Prem Chowdhry

Books from same Publisher: Aakar Books

Related Category: Author List / Publisher List


  • Retail Price: ₹ 595/- [ 0.00% off ]

    Seller Price: ₹ 595

Sold By: T K Pandey      Click for Bulk Order

Offer 1: Get ₹ 111 extra discount on minimum ₹ 500 [Use Code: Bharat]

Offer 2: Get 0.00 % + Flat ₹ 100 discount on shopping of ₹ 1500 [Use Code: IND100]

Offer 3: Get 0.00 % + Flat ₹ 300 discount on shopping of ₹ 5000 [Use Code: MPSTK300]

Free Shipping (for orders above ₹ 499) *T&C apply.

In Stock

Free Shipping Available



Click for International Orders
  • Provide Fastest Delivery

  • 100% Original Guaranteed
  • General Information  
    Author(s)Prem Chowdhry
    PublisherAakar Books
    ISBN9789350027752
    Pages392
    BindingSoftcover
    LanguageEnglish
    Publish YearFebruary 2022

    Description

    Aakar Books Gramin Haryana Me Ghunghat Pratha Badalte Swaroop - 1880 Se Maujuda Daur Tak by Prem Chowdhry

    गहन शोध पर आधारित इस पुस्तक में पिछले करीब सवा सौ साल के आर-पार वर्तमान हरियाणा की महिलाओं में प्रचलित घूँघट प्रथा का जायज़ा लिया गया है। पितृसत्तात्मक सामाजिक ढांचे के दायरे में महिला-पुरुष सम्बन्धों के लगातार बदलते समीकरणों का भी विश्लेषण किया गया है जो प्रदेश की भौगोलिक तथा निरन्तर बदलती सामाजिक-सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, आर्थिक, राजनैतिक परिस्थितियों को अपने संज्ञान में लेता है। इस सब के केन्द्र में, घूँघट प्रथा के बन्धनों के बीच रहते हुए उन से जूझती और अपने स्वतन्त्र अस्तित्व के लिए रास्ते तलाशती महिला है। घूँघट की मजबूरियों के बीच जी रही महिला की स्थिति का चित्रण मौखिक इतिहास, लोक-साहित्य, लोक-रीतियों एवं परम्पराओं के आलोक में साक्षात्कारों, लोकोक्तियों, लोक-गीतों, लोक-कथाओं, प्रचलित कहावतों आदि का भरपूर प्रयोग करते हुए किया गया है।Paperback9789350027752Aakar Books, 2022Language: Hindi392 pagesPrice INR 595.00ADD TO CARTView CartJoin BookClubBook Club Price INR 446.00गहन शोध पर आधारित इस पुस्तक में पिछले करीब सवा सौ साल के आर-पार वर्तमान हरियाणा की महिलाओं में प्रचलित घूँघट प्रथा का जायज़ा लिया गया है। पितृसत्तात्मक सामाजिक ढांचे के दायरे में महिला-पुरुष सम्बन्धों के लगातार बदलते समीकरणों का भी विश्लेषण किया गया है जो प्रदेश की भौगोलिक तथा निरन्तर बदलती सामाजिक-सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, आर्थिक, राजनैतिक परिस्थितियों को अपने संज्ञान में लेता है। इस सब के केन्द्र में, घूँघट प्रथा के बन्धनों के बीच रहते हुए उन से जूझती और अपने स्वतन्त्र अस्तित्व के लिए रास्ते तलाशती महिला है। घूँघट की मजबूरियों के बीच जी रही महिला की स्थिति का चित्रण मौखिक इतिहास, लोक-साहित्य, लोक-रीतियों एवं परम्पराओं के आलोक में साक्षात्कारों, लोकोक्तियों, लोक-गीतों, लोक-कथाओं, प्रचलित कहावतों आदि का भरपूर प्रयोग करते हुए किया गया है।